Thursday, July 27, 2017

हरेली तिहार

चाऊर के रोटी
आमा के अचार
सुरज के किरण
खुशी के बहार

मुबारक हे संगवारी हरेली के
त्यौहार पंडित लोकेन्द्र महराज ।
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चंदन के लकड़ी 
फूल के हार      
  जुलाई के महीना 
सावन के फूहार
  खेत के हरियाली
किसान के प्यार
  मुबारक हे तोला
   हरेली के त्यौहार
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हरियर हरियर खेत खार,
लिपाये पोताये 
घर दुवार,
आगे संगी हरेलि तिहार,
नागर कुदारी रापा बसला
धो मांज के पुजा करबो
सबला
घर मा चुर ही चिला रोटी
जा के  खाबो  खेत कोती, 
रिम झिम रिम झिम
पानी के बऊ छार
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आगे संगी हरेलि तिहार,
रिक्चीक रिक्चीक गेडी बाजे,
लोक लईका धर के भागे,
अब पानी गिर ही जोर दार
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आगे संगी हरेली तिहार,
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|| *हरेली तिहार* ||
आवत हे हरेली तिहार , छाये हावय जी बहार |
करलव मिलके अब तईयारी , छागे हावय जी हरियाली ||

नागर बऊसला रापा कुदारी , धोलव सबला बारी बारी | 
गेड़ी बनावव मजा जी लेवव , येखर मिलके पारी पारी ||

बइगा बांधय गाँव ला , खोचय लीम के डारा | 
गाय गरुवा ला लोदी खवावय , गिजरे आरा पारा ||

घुरहा चिला के रोटी खाले , पुजले देवी देवता |
संगी संग मा मजा उड़ाले , मिलय नही फेर मऊका ||

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chhattisgarhi Rajbhasha