Tuesday, May 2, 2017

""जय छत्तीसगढ""

   ""जय छत्तीसगढ""
गजब मिठाथे रे संगी, मोर छत्तीसगड़ के बासी.
ईही हमर बर तिरिथ गंगा, ईही हमर बर मथरा कासी.
उठथन बिहनिया करथन मुखारी, अउ झडक थन बासी.
दिन भर करथन काम बुता , पेट नई होवय खाली.
दार दरहन के कामे नईये, नई लगाय साग तरकारी.
दही मही संग नुन मिर्चा, गोन्दली येकर सन्ग्वारी.
के दिन ले बनाबो माल पुआ, के दिन ले बनाबो तसमई पुरी.
कतका ला बिसाबो सेव डालीया , के दिन ले खाबो सोहारी.
समोसा, जलेबी, पोहा, खोआ, रसगुल्ला नइ मिठावय हमला.
नई खाए सकन होटल के रोज, तेलहा, फुलहा भजिया.
सहरिया मन के नकल जो करबो, होजाहि जग हासि.
सबले सस्ता सबले बढीया , मोर छत्तीसगढ के बासी .
                        ""जय छत्तीसगढ""

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chhattisgarhi Rajbhasha