Thursday, February 23, 2017

मया

( 21 )
 टुरी ह कारी हे अटल कुंवारी हे
 मन ल कइसे तरसावय जी  
मया वाले रस चुहाके 
काबर एती ओती लुकावय जी !

( 22 )
नसा चढ़े हे मोला मया के तोर 
कतको उतारे नइ उतरय ओ 
  तोला मिले से पहिली नीमगा रेहेंव 
खुद ल अब कतको सुधारेंव नइ सुधरय ओ !

 ( 23 )
कईसे मया होगे तोर संग मयारू
  जइसे  बंजर भुइंया हरियागे न 
 सोना कस मोर गोरा बदन ह
  करिया लोहा कस करियागे  न !

( 24 )
सपना आथे आधा रात के
  मुसड़िया  ल मैं हँ  पोटारत रहिथँव
गाना गाके ये मोर मयारू  
सपना म तोला सुनावत रहिथँव !

( 25 )
 कइसे मारे नजरिया  के बान 
 पथरा कस दिल ल घोर डारे ओ
  मोर बम्हाचारी जीवन के डोर ल 
 ऐके घरी म टोर डारे ओ !

( 26 )
  सात सौ के नथनी
  अउ  मुंदरी हजार के
  तभो ले तोर मन नइ माढ़े 
 अउ लेबो कइथस  अवईया बजार के !

( 27 )
सुर मोहिनी  टुरी तोर मन मोहिनी  रूप ओ 
 देखे म मन माढ़े नही ,तोला पाये बर  मन होथे,
 जइसे तैं  छाये हस मोर जिनगी म 
 वइसे  तोर जिनगी म छाये बर मन होथे !

( 28 )
बटकी धोवतहे  टुरी 
 भुइंया म पटक-पटक के
  चुंदी बगरे हे चारो मुड़ा 
 सकलत हे सब ल झटक-झटक के !

( 29 )
अंगरखा कइसे पहिरे हे टुरी 
बदन म जींस टॉप के बौछार हे 
रंग रंगीली टुरी मटमटही हे
  ओखर म फेसन के भुत सवार हे !

( 30 )
गोबर बिने आबे टुरी हमर कोठार म 
 गाड़ा के चक्का हे तिहां बैठे  हंव इंतजार म 
पहिली मजा करबो जी भर के 
 तहां बिहाव हमर होही कुंआर म !

( 31 )
मोर चक्कर म पड़े हस टुरी
  कभू छोड़ँव नही तैं जानले 
 सच्चा आशिक पाये हस गोरी 
श्यादर ल अपन मानले !

( 32 )
रंगरंगीली सलवार तोर 
करतहे कइसे धमाल ओ
  रंग दे मोला तोर मया के रंग म
करदे थोकिन कमाल ओ !

( 32 )
शक्कर के पानी पिया के टुरी
  मया के गुर खवाये न 
नैन मटक्का मारे टुरी 
 श्यादर के प्यास बुझाये न !

( 33 )  
ये वो चंदा रानी तोर चेहरा 
 मोर मन भीतर म छाये हे 
 गजब के हावय तोर रूप गोरी 
मोला बईहा -पगला बनाये हे  !

( 34 )
छम्मक छल्लो तोर जवानी 
 अडबड अलकरहा लागे ओ
  देख के तोरे धाकड़ बदन ल 
 मन बईहा हो जाथे ओ 

(35 )
सुक्खा डबरी म पानी डारे 
 कईसन मया के बान चलाये ओ
एजी, ओजी कहिके गोरी
  काबर मोला बलाये ओ  

( 36 )
सुरुज के आगि म तन जरय नही
  मया बर व्याकुल होथे ओ
  घेरी बेरी रद्दा देखतहंव तोर 
 मन कुलबुल-कुलबुल होथे ओ 

( 37 )
 सिरतोन कहे संगी 
 मोला ओखर संग जीना हे 
आज ले दारु मंद-मउहा 
 तोर बिना नइ पीना हे !

( 38 )
मजा के चक्कर म सिदागे पईसा 
 घर के गौटिन मोला गारी दिही
  नइ लेहूँ कछु चिन्हा ओखर बर
त   ठेंगा म मोला मारी दिही !

( 39 )
  ऐती ओती झन देख न ओ 
खड़े हवंव तोर आघू म 
 तोर घर के आघू म मोर घर हवय 
 अउ देखे बर खिड़की हवय बाजू म 

( 40 )
मार के मर जाहूं गोरी 
जेन तोर-मोर बिच म आही ओ
  साले ल दुहूँ दू चटकन 
जियत ले ओला पिराही ओ !

1 comment:

  1. बढ़िया मया भरे शायरी हे भईया

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chhattisgarhi Rajbhasha