छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़ीया
टूरा फटफटी म जात रथे, टूरी ल देख
अचानक गिर जाथे।
टूरी - ओह माई गाड, लागिस तो नहीं,
टूरा - नही रे पगली, हमन तो असने
फटफटी ले उतरथन।
अर्ज किया है, उजाले की चाह में अंधेरों में भटक
गया हूं,
उजाले की चाह में अंधेरो में भटक गया हूं
ए दोस्त जरा हाथ देना, चिखला में सटक गया हूं।
जिंदगी मुश्किलों और तूफानों से भरी है
अगर ठोकर लगे तो हिम्मत मत हारिए।
फिर से खड़े हो जाइए और चिल्ला के बोलिए
‘‘मोला कोन ढकेलिस रे।।
छत्तीसगढ़ी शोले-
वीरू - ए कुकुर मन के आघू म झन नाचबे
बसंती।
बसंती - रोगहा वीरू! तय हर का मोला अपन
नउकरानी समझ रखे हस।
चल रे गब्बर डीजे चला।।
इंग्लैंड मदर - गुड नाईट डियर
हिन्दू मदर - शुभ रात्रि बेटा
मुस्लिम मदर - शब्बा खैर
और छत्तीसगढ़ी मदर - सुत ना रे रोगहा,
हे भगवान आगी लगय एखर मोबाईल ल।
चांदनी रात रहिस
नदिया के पार रहिस
अउ बादर म तारा मन के नजारा रहिस
तहा ले प्रेमी प्यार से मुस्का के
प्रेमिका ल कहिस
डार्लिंग!
गुड़ाखू करबे का।।।
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